. अब किसी के रहम पर नहीं, बिहार अपने दम पर बोलेगा” — नीतीश कुमार का तीखा बयान, विपक्ष और सहयोगियों पर एक साथ हमला।।

अब किसी के रहम पर नहीं, बिहार अपने दम पर बोलेगा” — नीतीश कुमार का तीखा बयान, विपक्ष और सहयोगियों पर एक साथ हमला।।

 अब किसी के रहम पर नहीं, बिहार अपने दम पर बोलेगा” — नीतीश कुमार का तीखा बयान, विपक्ष और सहयोगियों पर एक साथ हमला


पटना, 18 अक्टूबर 2025:

बिहार की सियासत में आज का दिन हलचल भरा रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पटना में एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान दे दिया जिसने पूरे राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया।

उन्होंने साफ कहा —



> “अब वक्त आ गया है कि बिहार किसी के रहम पर नहीं रहेगा। जो काम हमने किए हैं, उसका जवाब जनता देगी, दिल्ली नहीं।”




इस एक लाइन ने राजनीतिक अर्थों में कई संकेत दे दिए। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार का यह बयान न सिर्फ़ अपने सहयोगियों को संदेश था बल्कि विपक्षी आरजेडी और कांग्रेस दोनों को एक साथ निशाने पर लेने जैसा था।



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बयान के मायने: सत्ता में आत्मविश्वास या किसी नई रणनीति की तैयारी?


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार का यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर दिया गया है।

हाल ही में सीट बंटवारे को लेकर जेडीयू और बीजेपी में जो ठंडी तनातनी की खबरें थीं, उस पर भी यह बयान “साइलेंट रिएक्शन” के रूप में देखा जा रहा है।

एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा,


> “नीतीश कुमार बहुत सोच-समझकर बोलते हैं। जब वे कहते हैं कि ‘बिहार किसी के रहम पर नहीं रहेगा’, तो इसका मतलब है कि वे अब केंद्र या दिल्ली की राजनीति से दूरी बना रहे हैं और बिहार की जनता पर फोकस करना चाहते हैं।”






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तेजस्वी यादव पर अप्रत्यक्ष हमला


नीतीश कुमार ने अपने भाषण में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों में तंज़ का अंदाज़ साफ़ था। उन्होंने कहा,


> “जो लोग सिर्फ़ बयानबाज़ी करते हैं, उन्हें जनता सबक सिखाएगी। काम करने वाले को बिहार हमेशा याद रखता है।”




राजनीतिक हलकों में इसे तेजस्वी यादव के हालिया बयानों पर प्रतिक्रिया माना जा रहा है। तेजस्वी ने हाल ही में कहा था कि “नीतीश कुमार ने बिहार को पिछड़ा राज्य बना दिया।”



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‘सात निश्चय’ की वापसी और नई योजनाओं का ऐलान


नीतीश कुमार ने कार्यक्रम में अपनी ‘सात निश्चय पार्ट 3’ की झलक भी दिखाई। उन्होंने कहा कि अब फोकस रोजगार, कौशल विकास और युवाओं की आय पर होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि 2025 के बाद बिहार को “उद्योगिक नक्शे” पर लाने का उनका मिशन तय है।


उनके शब्द थे —


> “अब सिर्फ़ सड़क और बिजली नहीं, अब हर घर में नौकरी और रोजगार का माहौल बनेगा। हम बिहार को पलायन का नहीं, अवसर का प्रदेश बनाएंगे।”





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बीजेपी-जेडीयू रिश्तों पर संकेत


जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या बीजेपी-जेडीयू में कोई खटास है, तो नीतीश कुमार मुस्कुराए और बोले,


> “हमारे रिश्ते जनता के भरोसे पर बने हैं, किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं।”




यह जवाब जितना शांत था, उतना ही गहरा।

इससे यह कयास लगने लगे कि नीतीश कुमार अपने पुराने तेवरों में लौट आए हैं — जहाँ वे NDA के “समान साझेदार” के रूप में रहना चाहते हैं, न कि “छोटे भाई” की भूमिका में।



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नीतीश कुमार का “चुनावी मोड” ऑन


राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार अब पूरी तरह चुनावी मोड में हैं।

उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर जिले में विकास कार्यों की रिपोर्ट जनता के बीच साझा की जाए।

साथ ही, “जनसंवाद यात्रा” की भी तैयारी शुरू कर दी गई है, जो नवंबर से शुरू होगी।


इस यात्रा में नीतीश सीधे जनता से संवाद करेंगे, बिना किसी मंचीय शो के — बिल्कुल वैसा ही जैसा उन्होंने 2015 में किया था।

जेडीयू सूत्रों के अनुसार, यह यात्रा नीतीश के “इमोशनल कनेक्शन” को फिर से जीवित करने की कोशिश है।



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जनता दल (यू) में जोश, विपक्ष में बेचैनी


नीतीश के इस बयान के बाद जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में माहौल बदला-बदला नजर आया।

पार्टी प्रवक्ता ने कहा,


> “नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास की गंगा बही है। जो लोग सिर्फ़ भाषण देते हैं, उन्हें जनता जवाब देगी।”




दूसरी ओर, आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा,


> “नीतीश जी अब खुद को धोखा दे रहे हैं। जनता सब समझती है कि उनके पास अब नया विजन नहीं, सिर्फ़ पुराने नारे हैं।”





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नीतीश कुमार की राजनीतिक शैली – “संकेतों में संदेश”


नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के उन नेताओं में हैं जो सीधे वार नहीं करते, बल्कि संकेतों में बात कहते हैं।

उनका आज का भाषण भी उसी परंपरा का हिस्सा था।

उन्होंने अपने विरोधियों को खुलकर चुनौती नहीं दी, लेकिन हर वाक्य में “संदेश” छिपा था —

कि वे अब भी बिहार की राजनीति में “केंद्र बिंदु” हैं।



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विश्लेषण: क्या नीतीश फिर किसी ‘नए समीकरण’ की ओर बढ़ रहे हैं?


हाल के महीनों में बिहार की राजनीति में जो हलचल देखी गई है — कांग्रेस का कमजोर होना, आरजेडी में आंतरिक मतभेद, और बीजेपी का नए चेहरों पर फोकस — इन सबके बीच नीतीश कुमार का यह बयान उन्हें फिर से “किंगमेकर” की स्थिति में ला सकता है।


कई विश्लेषक मानते हैं कि अगर चुनाव से पहले समीकरण गड़बड़ाते हैं, तो नीतीश कुमार किसी तीसरे गठबंधन या नई राजनीतिक दिशा का ऐलान भी कर सकते हैं।



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नीतीश का आत्मविश्वास — "काम से पहचान, प्रचार से नहीं"


नीतीश ने कहा,


> “मुझे प्रचार नहीं, परिणाम पसंद है। सोशल मीडिया पर नहीं, ज़मीन पर जो दिखे वही राजनीति है।”




यह वाक्य युवाओं में काफी चर्चा में है।

सोशल मीडिया पर #NITISH2025 ट्रेंड करने लगा है, जिसमें लोग उनके “काम के ट्रैक रिकॉर्ड” की तुलना विपक्षी नेताओं से कर रहे हैं।



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निष्कर्ष: नीतीश कुमार फिर ‘केंद्र’ में


नीतीश कुमार का यह बयान यह साफ कर गया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वे किसी के साये में नहीं, बल्कि खुद अपनी राजनीतिक जमीन पर खड़े होकर लड़ाई लड़ने वाले हैं।

उनका फोकस “बिहार की आत्मनिर्भर राजनीति” पर है — जिसमें न केंद्र की कृपा, न विपक्ष का दबाव।


अगर उनकी रणनीति सफल होती है, तो 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के लिए “राजनीतिक पुनर्ज

न्म” जैसा साबित हो सकता है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में उनके सहयोगी दल — खासकर बीजेपी — इस “नई पिच” पर कैसे खेलते हैं।

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