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🌟 नामांकन के बाद तेजस्वी यादव का बड़ा बयान: “जनता का आशीर्वाद ही मेरा असली टिकट है”
पटना, 18 अक्टूबर 2025:
बिहार की राजनीति में आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया, जब राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भारी समर्थकों के बीच अपना नामांकन दाखिल किया। लेकिन नामांकन से ज़्यादा चर्चा उनके बयान और बॉडी लैंग्वेज की हो रही है, जिसने पूरे चुनावी माहौल को एक नया मोड़ दे दिया है।
🔴 नामांकन के वक्त की झलक
सुबह से ही पटना की सड़कों पर लाल रंग की लहर दिखाई दे रही थी। “तेजस्वी भइया ज़िंदाबाद” के नारों से गूंजते माहौल में जब वे रोड शो करते हुए नामांकन स्थल पहुँचे, तो हजारों कार्यकर्ताओं ने गुलाब की पंखुड़ियों से उनका स्वागत किया। उनके साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता, कुछ निर्दलीय समर्थक और गठबंधन दलों के प्रमुख चेहरे भी मौजूद थे।
तेजस्वी यादव ने सफेद कुर्ता-पायजामा और हल्के हरे गमछे में अपना पारंपरिक लुक अपनाया हुआ था — लेकिन उनके चेहरे पर एक अलग आत्मविश्वास झलक रहा था।
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🗣️ नामांकन के बाद तेजस्वी यादव का बयान
नामांकन दाखिल करने के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा —
> “मैं आज किसी दल या वंश के नाम पर नहीं, बल्कि बिहार की 13 करोड़ जनता के विश्वास के नाम पर नामांकन करने आया हूं। मेरा टिकट जनता ने पहले ही दे दिया है — और वो टिकट आशीर्वाद का है।”
उन्होंने कहा कि बिहार में अब ‘नया सोच, नया बिहार’ का समय है।
> “बेरोजगारी, पलायन, और भ्रष्टाचार ने बिहार को पीछे धकेला है। मैं वादा नहीं, विजन लेकर आया हूं। इस बार सिर्फ कुर्सी नहीं, जिम्मेदारी चाहिए।”
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💬 नीतीश कुमार और एनडीए पर सीधा वार
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा —
> “जो लोग आज फिर से सत्ता में आने के लिए गठजोड़ कर रहे हैं, वही लोग कल एक-दूसरे को गाली दे रहे थे। बिहार की राजनीति अब जोड़-तोड़ नहीं, जन-जन के जोड़ पर चलेगी।”
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने सब कुछ देख लिया है —
> “कभी ‘डबल इंजन’ के नाम पर ठगा गया, कभी ‘सुशासन’ के नाम पर अंधेरा दिखाया गया। अब बिहार की जनता ठोस बदलाव चाहती है।”
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🌾 रोजगार और विकास पर तेजस्वी का नया रोडमैप
तेजस्वी यादव ने अपने विज़न डॉक्युमेंट का एक झलक देते हुए कहा कि अगर उनकी सरकार बनी, तो पहले 100 दिनों में 10 लाख रोजगार के लिए रोडमैप जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा —
> “मैंने पहले भी कहा था और आज फिर कहता हूं — ‘बेरोजगारी हटाओ, बिहार बचाओ’ हमारा मूल मंत्र रहेगा। किसान, शिक्षक, युवा और महिला — यही हमारी ताकत हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि बिहार को सिर्फ राजनीति की नहीं, “नीति की राजनीति” की जरूरत है।
> “हम सिर्फ सत्ता नहीं, सिस्टम बदलना चाहते हैं। हमारे लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं, हर गरीब का आंगन मायने रखता है।”
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🧩 ‘जनता का उम्मीदवार’ बनकर उभरे तेजस्वी
तेजस्वी यादव के भाषण में एक खास बात यह थी कि उन्होंने खुद को पार्टी का नहीं, बल्कि जनता का उम्मीदवार बताया।
> “मैं लालू प्रसाद यादव का बेटा जरूर हूं, लेकिन आज मैं हर गरीब मां का बेटा बनकर खड़ा हूं। मेरे लिए हर बेरोजगार नौजवान मेरा परिवार है।”
उनकी यह लाइन सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। #TejashwiNomination ट्रेंड करने लगा और ट्विटर (अब X) पर लोगों ने लिखा —
> “तेजस्वी की बातों में गुस्सा नहीं, उम्मीद झलकती है।”
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🧠 रणनीति में ‘युवा और अनुभवी’ का संतुलन
राजद के सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने इस बार टिकट बंटवारे में युवाओं और पुराने कार्यकर्ताओं के बीच बेहतरीन संतुलन बनाया है। उनका कहना है —
> “राजनीति अब सिर्फ अनुभव की नहीं, ऊर्जा की भी जरूरत है। पुरानी सोच के साथ नई दिशा जरूरी है।”
विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी की यह रणनीति बिहार के युवाओं को आकर्षित कर सकती है, खासकर पहली बार वोट देने वाले लगभग 1.2 करोड़ युवा मतदाताओं को।
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🔔 भीड़ से ज्यादा संदेश पर ध्यान
तेजस्वी यादव के भाषण का सबसे मजबूत पक्ष यह रहा कि उन्होंने भीड़ की संख्या पर नहीं, संदेश की गहराई पर ध्यान दिया।
> “भीड़ दिखाने के लिए नहीं, बदलाव लाने के लिए मैदान में उतरा हूं।”
उन्होंने बार-बार युवाओं से अपील की —
> “आपका एक वोट बिहार का चेहरा बदल सकता है। यह चुनाव बिहार के भविष्य का चुनाव है।”
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📸 तेजस्वी के साथ परिवार और पार्टी की एकजुटता
नामांकन के वक्त उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, भाई तेजप्रताप यादव, और कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
तेजस्वी ने कहा —
> “हमारे परिवार की एकता ही हमारी ताकत है। लालू जी की विचारधारा अब हर गली, हर गांव में जिंदा है।”
उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहे कितना भी हमला करे, “जनता का विश्वास ही सबसे बड़ी ढाल” है।
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🌍 तेजस्वी यादव की नई छवि: जमीन से जुड़ा नेता
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि तेजस्वी यादव अब सिर्फ लालू यादव के बेटे नहीं, बल्कि खुद एक मजबूत जननेता के रूप में उभर रहे हैं।
उनकी भाषा में सादगी, चेहरे पर आत्मविश्वास और संदेश में स्थिरता दिखाई देती है।
> “बिहार बदलने आया हूं, बिहार छोड़ने नहीं।” — यह वाक्य अब उनके हर पोस्टर पर छप रहा है।
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📊 राजनीतिक विश्लेषण: जनता बनाम सत्ता का चुनाव
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. अरुण मिश्रा कहते हैं —
> “तेजस्वी यादव इस चुनाव को जनता बनाम सत्ता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर वे इस नैरेटिव को बनाए रखते हैं, तो यह चुनाव बहुत रोचक हो सकता है।”
एनडीए की ओर से जहां विकास और स्थिरता का मुद्दा उठाया जा रहा है, वहीं तेजस्वी रोजगार और सामाजिक न्याय के एजेंडे पर अडिग हैं।
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🕊️ अंतिम संदेश
अपने भाषण के अंत में तेजस्वी यादव ने जनता से हाथ जोड़कर कहा —
> “अगर आप मुझ पर भरोसा करेंगे, तो मैं बिहार को फिर से उस मुकाम पर पहुंचाऊंगा, जहां लोग कहते थे — ‘ये बिहार है, यहां से नेता निकलते हैं।’”
उन्होंने कहा कि बिहार की लड़ाई किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि हर गरीब, हर नौजवान, हर किसान की लड़ाई है।
> “मैं आपसे वोट नहीं, भरोसा मांगने आया हूं।”
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📰 निष्कर्ष
तेजस्वी यादव का नामांकन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था — यह उनके राजनीतिक सफर का नया अध्याय है। उन्होंने अपने भाषण में वंशवाद से ऊपर उठकर जनवाद का संदेश दिया।
उनकी शैली में विनम्रता है, पर शब्दों में दृढ़ता।
बिहार की राजनीति अब एक नए मोड़ पर है — जहां युवा बनाम पुरानी व्यवस्था, आशा बनाम आरोप, और भविष्य बनाम
अतीत का मुकाबला होगा।
और इस मोर्चे पर तेजस्वी यादव का यह बयान, “जनता का आशीर्वाद ही मेरा असली टिकट है” — आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति की सबसे गूंजती पंक्ति बन सकती है।


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