. RJD में भूचाल: संजय–रमीज टकराव से भाई-बहन नाराज़, जानें लालू परिवार के विवाद का सच।।

RJD में भूचाल: संजय–रमीज टकराव से भाई-बहन नाराज़, जानें लालू परिवार के विवाद का सच।।

 

लालू परिवार में ‘संजय–रमीज’ पर घमासान: भाई–बहनों की नाराज़गी से लेकर तेजस्वी यादव के घर की उथल-पुथल तक, पूरी अंदर की कहानी


बिहार की राजनीति में जब भी कोई हलचल होती है, उसकी गूंज सबसे ज़्यादा जहां सुनाई देती है, वह है लालू प्रसाद यादव का परिवार। चुनावी नतीजों के बाद जब हर पार्टी विधायकों की जोड़तोड़, समीकरण और रणनीतियों में लगी थी, उसी वक्त लालू परिवार के अंदर एक नया विवाद गहराने लगा। यह विवाद दो नेताओं—संजय और रमीज—के इर्द-गिर्द घूमता है, जिनके कारण परिवार के भीतर नाराज़गी, आरोप, मतभेद और दबाव की एक नई राजनीति जन्म ले चुकी है।


दोस्तों, आज हम आपको इस पूरे मामले की अंदरूनी कहानी बताएंगे—क्यों लालू परिवार में मतभेद बढ़े? कौन नाराज़ है? तेजस्वी यादव के घर में कैसी उथल-पुथल मची हुई है? और यह सब आने वाले राजनीतिक समय को कैसे प्रभावित कर सकता है?



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शुरुआत कहां से हुई: ‘संजय–रमीज’ विवाद का असली कारण


सूत्र बताते हैं कि सीटों के बंटवारे, टिकट वितरण और चुनावों के बाद संगठन में किए गए कुछ महत्वपूर्ण बदलावों को लेकर संजय और रमीज गुट के बीच गहरा मतभेद चल रहा था। इस विवाद ने धीरे-धीरे परिवार के भीतर दरारें पैदा कर दीं।


संजय को लालू परिवार का भरोसेमंद माना जाता रहा है, जबकि रमीज युवाओं में मजबूत नेटवर्क और संगठनात्मक पकड़ रखते हैं। दोनों की बढ़ती महत्वाकांक्षा और नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।


रिपोर्ट्स के अनुसार तेजस्वी यादव को कई बार इन दोनों के बीच मध्यस्थता करनी पड़ी, लेकिन हर बातचीत के बाद विवाद और गहरा होता गया।




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भाई-बहनों की नाराज़गी क्यों बढ़ी?


लालू परिवार के अंदर सत्ता और संगठन को लेकर संतुलन बहुत संवेदनशील माना जाता है। तेजप्रताप यादव को पहले ही कई फैसलों से असहमति रही है और अब संजय-रमीज विवाद ने उनकी नाराज़गी और बढ़ा दी है।


परिवार की बेटियों और करीबी सदस्यों में भी असंतोष की चर्चा है। अंदर की खबरें कहती हैं कि कुछ सदस्य मानते हैं कि संगठन का नियंत्रण केवल चुनिंदा लोगों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। वहीं दूसरे सदस्य कहते हैं कि तेजस्वी के नेतृत्व को लगातार चुनौती मिल रही है।


दूसरे शब्दों में कहें तो संजय–रमीज विवाद ने परिवार के हर सदस्य को किसी न किसी तरह प्रभावित किया है।



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तेजस्वी यादव के घर में क्या चल रहा है?


चुनाव के नतीजों के बाद तेजस्वी यादव सबसे ज़्यादा दबाव में हैं।


1. पहला दबाव – सीटें कम होने का



2. दूसरा दबाव – बीजेपी और जेडीयू के गठजोड़ ने विपक्ष की जमीन छोटी कर दी



3. तीसरा, सबसे बड़ा दबाव – पार्टी संगठन के भीतर गहराते मतभेद




सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी हर दिन परिवार के कई सदस्यों के साथ बैठक कर रहे हैं, विवाद को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संजय और रमीज दोनों के समर्थक पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।


कुछ बैठकों में बहस इतनी तीखी हो गई कि तेजस्वी को बीच में दखल देना पड़ा। लालू यादव और राबड़ी देवी को भी मामले में सक्रिय रूप से शामिल होना पड़ा है।



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लालू यादव की भूमिका और परिवार की चिंता


लालू प्रसाद यादव हमेशा से परिवार और पार्टी को एकजुट रखने वाले नेता रहे हैं। वह जानते हैं कि चुनाव के समय ऐसे विवाद पार्टी की छवि और नेतृत्व दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।


लेकिन इस बार मुद्दा केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से भी जुड़ा है। यही वजह है कि लालू यादव खुद को बैकफुट पर महसूस कर रहे हैं।


कहा जा रहा है कि उन्होंने दोनों गुटों को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि अगर विवाद नहीं रुका तो कड़े फैसले लेने पड़ेंगे।



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क्या RJD में टूट का डर है?


बिहार की राजनीति में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या यह विवाद भविष्य में पार्टी में टूट का कारण बन सकता है? विशेषज्ञ कहते हैं:


फिलहाल टूट की संभावना कम है


लेकिन अंदरूनी मतभेद लगातार बढ़े तो 2026 की तैयारी प्रभावित हो सकती है


युवा नेताओं के बीच खींचातानी तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता को चुनौती दे रही है



विश्लेषकों का मानना है कि RJD को अगले चुनावों में मजबूत वापसी करनी है तो नेतृत्व को पहले अपने घर के विवादों को शांत करना होगा।



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संजय–रमीज विवाद का राजनीतिक असर


यह विवाद केवल परिवार तक सीमित नहीं है। इसका राजनीतिक असर साफ दिखाई देने लगा है:


पार्टी कार्यकर्ता दो गुटों में बंट रहे हैं


स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ रहा है


विपक्ष और मीडिया इस विवाद को तूल दे रहे हैं


NDA को सवाल उठाने का अवसर मिल रहा है


RJD की राजनीतिक रणनीति अस्थिर हो रही है



कुछ नेताओं का कहना है कि जब तक दोनों गुटों को एक गोल में नहीं लाया जाएगा, तब तक पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित होगा।



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आने वाले दिनों में क्या हो सकता है?


राजनीतिक हलकों में चर्चाएं चल रही हैं कि तेजस्वी जल्द ही—


बड़े संगठनात्मक फेरबदल कर सकते हैं


संजय और रमीज दोनों को अलग-अलग जिम्मेदारियाँ देकर विवाद शांत करने की कोशिश कर सकते हैं


परिवार के सदस्यों की भूमिकाएं फिर से तय कर सकते हैं


युवा नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए विशेष मीटिंग बुला सकते हैं



यह भी संभव है कि लालू यादव खुद सबको साथ लाने के लिए एक बड़ी बैठक बुलाएं।



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निष्कर्ष: बिहार की राजनीति में “परिवार विवाद” बना बड़ा मुद्दा


दोस्तों, संजय–रमीज विवाद सिर्फ दो नेताओं का मतभेद नहीं है, बल्कि यह लालू परिवार, RJD और बिहार की राजनीति के भविष्य से जुड़ा मुद्दा बन चुका है।


तेजस्वी यादव पर दोहरी जिम्मेदारी है—एक तरफ पार्टी का नेतृत्व बचाना, और दूसरी तरफ परिवार की एकता बनाए रखना।


आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी इस उथल-पुथल को कैसे संभालते हैं 

और क्या वह परिवार को फिर से एकजुट कर पाते हैं या नहीं।


इतना तय है कि बिहार की राजनीति में इस विवाद की चर्चा अभी लंबी चलेगी।

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