. 63 सीटों का फैसला: NDA–महागठबंधन के बीच धमाकेदार मुकाबला…

63 सीटों का फैसला: NDA–महागठबंधन के बीच धमाकेदार मुकाबला…

 

बिहार की 63 सीटों पर NDA–महागठबंधन की जोरदार लड़ाई: कौन जीता, कौन हारा, और तीन सीटों पर रोमांचक मुकाबले की पूरी कहानी


दोस्तों, बिहार विधानसभा चुनाव की सबसे दिलचस्प तस्वीर वहां दिखी, जहां 63 सीटों पर NDA और महागठबंधन के बीच जबरदस्त टक्कर थी। पूरे चुनाव में चाहे जितनी बड़ी रैलियाँ, वादे और नारों की गूंज सुनाई दी हो, लेकिन इन 63 सीटों पर असल ‘फैसला’ वोटर ने किया—बिना शोर, बिना प्रचार, सिर्फ ईवीएम के बटन से।



तो आज हम आपको इस भिड़ंत की पूरी ग्राउंड रिपोर्ट, तीन सबसे ज़्यादा हाई-वोल्टेज सीटों की कहानी और सत्ता के असल समीकरण पर इसका असर बताने जा रहे हैं।



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63 सीटों की लड़ाई क्यों बनी ‘चुनाव की धड़कन’?


इस बार बिहार चुनाव में जहां एक तरफ NDA नीतीश–मोदी की डबल इंजन ताकत के साथ मैदान में था, वहीं महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ‘बदलाव’ के नारे पर चुनाव लड़ रहा था।

लेकिन असली मुकाबला उन 63 सीटों पर था, जहां—


पिछले चुनावों में मार्जिन बेहद कम था


जातीय समीकरण हर पल पलट रहा था


लोकल नेताओं की पकड़ बेहद मजबूत थी


बागी उम्मीदवार भी टेंशन दे रहे थे


और पहली बार वोट कर रही युवा आबादी निर्णायक थी



यही वजह है कि ये 63 सीटें दोनों गठबंधनों के लिए प्रतिष्ठा बन गई थीं।



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कौन जीता… कौन हारा? बड़ा नतीजा क्या रहा?


सूत्रों और ट्रेंड्स के अनुसार इन 63 सीटों का कुल मिलाकर जो रुझान सामने आया, वह बेहद चौंकाने वाला था।


NDA ने करीब 34 सीटों पर बढ़त/जीत दर्ज की


महागठबंधन ने लगभग 29 सीटें अपने नाम कीं



यानी मामला बेहद करीबी रहा और पूरे चुनाव का संतुलन इन्हीं सीटों ने तय किया।


लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि कई सीटों पर—


500 वोट का अंतर


बंधे हुए मुकाबले


दो-दो घंटे तक काउंटिंग रुकना


EVM की दोबारा जांच



जैसी स्थितियां सामने आईं।


अब बात करते हैं उन तीन सबसे हाई-वोल्टेज सीटों की, जिनकी कहानी पूरे बिहार की राजनीति बदल सकती है।



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1. बख्तियारपुर: नीतीश की परंपरा बनाम महागठबंधन की चुनौती


बख्तियारपुर सीट पर जिस तरह की भीड़ महागठबंधन की रैलियों में दिखी, उससे माना जा रहा था कि इस बार RJD जीत सकती है। लेकिन NDA के मजबूत स्थानीय नेटवर्क ने कमाल कर दिया।


क्या हुआ?


मुकाबला आखिरी राउंड तक बराबरी पर था


NDA उम्मीदवार को यादव–कुर्मी–अति पिछड़ा वोटों का फायदा मिला


महागठबंधन को मुसलमान–यादव गठजोड़ से बढ़त मिली


अंतिम राउंड में 1,200 वोट से NDA जीत गई



विशेषज्ञों का कहना है कि बख्तियारपुर की जीत ने NDA को मनोबल दिया और महागठबंधन की उम्मीदों को झटका।



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2. राघोपुर: तेजस्वी की गढ़ में सबसे बड़ा झटका


तेजस्वी यादव की अपनी सीट राघोपुर हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहती है। इस बार भी मुकाबला बेहद हाई-प्रोफ़ाइल था।


क्या हुआ?


RJD को अल्पसंख्यक और यादव वोटों का भारी समर्थन मिला


लेकिन गांव–गांव में NDA के प्रचारक और कई छोटे नेता लोगों को बांधते रहे


अंतिम समय में महिलाओं का वोट बराबर बंट गया


काउंटिंग के पहले दौर में महागठबंधन आगे था


दूसरे दौर से NDA बढ़त बनाता गया


600 वोट की मामूली जीत के साथ NDA ने चौंका दिया



यह नतीजा इतना अप्रत्याशित था कि राजनीतिक गलियारे हिल गए।



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3. हसनपुर: तेजप्रताप यादव की प्रतिष्ठा से जुड़ी सीट


हसनपुर सीट हमेशा से तेजप्रताप यादव की पहचान रही है, लेकिन इस बार चुनौती पहले से ज्यादा कठिन थी।


क्या हुआ?


महागठबंधन के कोर वोट पूरी तरह खड़े रहे


लेकिन NDA ने इस बार नए समुदायों और युवा वोटरों को टारगेट किया


तेजप्रताप को संगठनात्मक नाराज़गी और संजय–रमीज विवाद का भी नुकसान हुआ


नतीजा बेहद नजदीकी रहा


तेजप्रताप सिर्फ़ 300 वोट से सीट बचाने में सफल रहे



यह जीत जितनी महत्वपूर्ण थी, उतनी ही चेतावनी भी।



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इन 63 सीटों का राज्य की राजनीति पर बड़ा असर


इन सीटों के नतीजों ने बिहार का राजनीतिक नक्शा कई तरह से बदल दिया—


1. NDA की बढ़त ने नीतीश की स्थिति मजबूत की


डबल इंजन सरकार की बात का असर दिखा।

छोटी सीटों पर भी NDA की रणनीति सफल रही।


2. महागठबंधन के आंतरिक विवाद सामने आए


RJD के अंदरूनी खींचतान—संजय–रमीज विवाद, सीटों पर समन्वय की कमी—का असर कई जगह दिखा।


3. युवा वोट निर्णायक बन गए


पहली बार वोट कर रहे युवाओं का झुकाव कई सीटों पर दोनों गठबंधनों में बांट गया।

लेकिन NDA ने युवाओं तक संदेश पहुंचाने में थोड़ी बढ़त पाई।


4. छोटे दलों की भूमिका बढ़ी


VIP, HAM, AIMIM और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने कई सीटों पर असर डाला, जिससे मुकाबला और नजदीकी हो गया।



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मतदान का नया गणित: किसे मिला किसका साथ?


जातीय समीकरण इन 63 सीटों पर निर्णायक रहे:


यादव–मुस्लिम वोट महागठबंधन के साथ


अति पिछड़ा, कुर्मी, कोइरी और महिलाओं का बड़ा झुकाव NDA की ओर


EBC वोट हर जगह ‘किंगमेकर’ बना रहा


शहरों में NDA ने बेहतर प्रदर्शन किया


गांवों में मिश्रित परिणाम रहे




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चुनाव रणनीति किसकी बेहतर रही?


NDA की ताकतें


बूथ मैनेजमेंट मजबूत


मोदी–नीतीश का संयुक्त प्रभाव


महिलाओं को लक्षित योजनाएँ



महागठबंधन की ताकतें


तेजस्वी की रैलियों में भारी भीड़


युवा और बेरोजगारी मुद्दों पर पकड़


MY गठजोड़ स्थिर रहा



लेकिन जहां रणनीति ढीली पड़ी, वहां सीटें हाथ से निकल गईं।



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निष्कर्ष: बिहार की ये 63 सीटें 2026 की राजनीति तय करेंगी


इन सभी सीटों के परिणाम यह दिखाते हैं कि—


बिहार की राजनीति पूरी तरह बदल रही है


पुराने समी

करण टूट रहे हैं


नए सामाजिक आधार बन रहे हैं


और लड़ाई अब सिर्फ प्रचार नहीं, ईमानदार बूथ मैनेजमेंट और स्थानीय मुद्दों पर आकर टिक गई है



जो भी दल इन 63 सीटों को समझेगा, वही अगले चुनाव में बाज़ी मारेगा।

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