. बिहार में सत्ता का नया खेल: BJP–JDU ने बांट लिया पूरा मंत्रिमंडल, जानें किसके खाते में कितनी कुर्सियाँ।।

बिहार में सत्ता का नया खेल: BJP–JDU ने बांट लिया पूरा मंत्रिमंडल, जानें किसके खाते में कितनी कुर्सियाँ।।

 

बिहार में सरकार का तय हो गया फॉर्मूला: BJP–JDU कोटे से बनेंगे इतने मंत्री, घूम गया पूरा सियासी गणित


दोस्तों, बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से जो उठापटक चल रही थी, आखिरकार उस पर आज पर्दा उठ गया। जिस सवाल पर सबकी नज़र थी—नए मंत्रिमंडल का फॉर्मूला क्या होगा, BJP और JDU के खाते में कितने-कितने मंत्री जाएंगे, किसे क्या पद मिलेगा—उसका जवाब अब सामने आ चुका है।



सियासी हलकों में सुबह से ही चर्चाओं का दौर था, लेकिन शाम तक तस्वीर और साफ हो गई कि NDA सरकार का पावर-बैलेंस किस दिशा में झुकने वाला है। आइए जानते हैं हर एंगल से, जमीन से जुड़ा, तथ्यात्मक और सबसे हटकर विश्लेषण।



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कैबिनेट फॉर्मेशन का ब्लूप्रिंट तय — किसे क्या मिलेगा?


नए फॉर्मूले के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा हाईकमान के बीच लंबी बातचीत के बाद मंत्रिमंडल का सीट-शेयरिंग मॉडल फाइनल कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि पिछले 48 घंटों में दिल्ली से पटना तक कई दौर की मीटिंग्स के बाद आखिरकार दोनों दलों ने अपने हिस्से को तय कर लिया।


JDU कोटे से तय हुए इतने मंत्री


– कुल मंत्रियों में JDU का हिस्सा लगभग 40% रखा गया है।

– इसमें वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ कुछ नए चेहरों को भी मौका मिलने की संभावना है।

– नीतीश कुमार चाहते हैं कि प्रशासनिक अनुभव वाले नेताओं को अहम विभाग मिले, ताकि सरकार की कार्यशैली सुचारू रूप से चले।


सूत्र बताते हैं कि JDU की तरफ़ से शिक्षा, ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण और जल संसाधन जैसे अहम विभागों को लेकर अंदरूनी मंथन चल रहा है।


BJP का दबदबा—सबसे बड़ा कोटा


– चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद भाजपा को मंत्रिमंडल में सबसे बड़ा हिस्सा मिलने जा रहा है।

– BJP के लगभग 55–60% मंत्री शामिल किए जाने का फॉर्मूला तय हुआ है।

– पार्टी चाहती है कि युवा चेहरों को भी मौका मिले, साथ ही सामाजिक समीकरण का पूरा ध्यान रखा जाए।


इस बार BJP का फोकस ओबीसी, अति पिछड़ा वर्ग और महिला नेतृत्व को कैबिनेट में बढ़ाने पर है।



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उपमुख्यमंत्री पद पर भी हुआ फैसला?


हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन सियासी गलियारे फुसफुसा रहे हैं कि दो उपमुख्यमंत्री मॉडल को फिर से लागू किया जा सकता है।

– एक उपमुख्यमंत्री भाजपा की ओर से

– दूसरा किसी विशेष सामाजिक वर्ग के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए


ये मॉडल पिछले कार्यकाल में भी भाजपा के लिए सामाजिक रूप से लाभकारी साबित हुआ था।



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मंत्रिमंडल विस्तार का संभावित आंकड़ा — कुल कितने मंत्री?


जानकारों का कहना है कि बिहार में कुल मंत्री संख्या की सीमा 36 तक है, और इस बार भी 30–32 मंत्रियों का विस्तारित स्वरूप देखने को मिल सकता है।


इसमें से: – JDU के लगभग 12–13 मंत्री

– BJP के लगभग 17–18 मंत्री

– सहयोगी दलों के लिए 2–3 सीटें रिजर्व


यह फॉर्मूला NDA के भीतर पावर शेयरिंग को संतुलित करेगा।



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किन नए चेहरों को मौका मिल सकता है?


सियासी रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों दलों में नए चेहरों को शामिल करने पर सहमति बनी है।

– BJP में ऐसे 6–7 चेहरे हैं जो पहली बार मंत्री बन सकते हैं।

– JDU में 3–4 युवा नेता चर्चा में हैं, जो इस बार मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं।


इन चेहरों का चयन पूरी तरह जातीय, क्षेत्रीय और राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए किया जा रहा है।



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कौन से पुराने मंत्री हो सकते हैं बाहर?


यह भी बड़ा सवाल था कि क्या पुराने सभी मंत्री दोबारा शामिल होंगे।

जानकारों के अनुसार:

– कुछ मौजूदा मंत्रियों के प्रदर्शन से हाईकमान संतुष्ट नहीं है।

– ऐसे 4–5 चेहरों को बाहर किया जा सकता है।

– पार्टी अब “परफॉर्मेंस बेस्ड” मॉडल की ओर बढ़ रही है।


नीतीश कुमार का खुद का फॉर्मूला साफ है—काम नहीं तो पद नहीं।



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कैबिनेट में सामाजिक समीकरण की बड़ी भूमिका


बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों से गहराई से जुड़ी है।

इसलिए नए फॉर्मूले में संतुलन पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है।


संतुलन इस प्रकार रखा गया है:


– ओबीसी, ईबीसी: सबसे ज्यादा मंत्रालय

– सवर्ण वर्ग: 4–5 मंत्री

– दलित-महादलित: 3–4 मंत्री

– अल्पसंख्यक वर्ग: 1–2 मंत्री


NDA की तरफ़ से स्पष्ट संकेत है कि इस बार कोई वर्ग उपेक्षित नहीं रहेगा।



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NDA नेतृत्व में आपसी सहमति—टकराव की खबरें गलत साबित


कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि BJP और JDU के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद है।

लेकिन आज जो फॉर्मूला तय हुआ, उससे साफ दिखता है कि दोनों दलों ने आपसी समझ से संतुलित मॉडल तैयार किया है।


भाजपा ने भी कहीं कोई दबाव की राजनीति नहीं की, और JDU ने भी सत्ता संतुलन को लेकर बहुत व्यावहारिक रुख दिखाया।



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तेजस्वी यादव और RJD पर क्या पड़ेगा असर?


NDA के मजबूत होते फॉर्मूले से विपक्ष की चिंता बढ़ना तय है।

तेजस्वी यादव इसकी आलोचना कर सकते हैं कि:

– मंत्री चुनने में NDA ने सिर्फ राजनीति देखी

– जनता के मुद्दे पीछे छूट गए

– सिर्फ जातीय समीकरण के आधार पर कैबिनेट बनाया गया


लेकिन NDA इसे अपने मजबूत और स्थिर शासन मॉडल के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत करेगा।



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क्या नीतीश कुमार की पकड़ अभी भी मजबूत?


इस फॉर्मूले से एक बात बिल्कुल साफ है—

नीतीश कुमार अभी भी NDA में अपनी शर्तों पर सौदेबाजी करने में सक्षम हैं।

भले ही BJP का कोटा बड़ा है, लेकिन JDU ने अपने अहम विभाग सुरक्षित रखे।


इससे संदेश जाता है कि बिहार की सत्ता में नीतीश की पकड़ कमजोर नहीं हुई है।



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अगले 24 घंटे बेहद अहम


अब जब फॉर्मूला तय हो गया है, तो

– संभावित मंत्रियों को फोन जाना शुरू हो सकता है

– शपथ ग्रहण समारोह की तारीख जल्द घोषित होगी

– विभागों का आवंटन आखिरी समय में फाइनल होगा



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निष्कर्ष: बिहार में सत्ता का खेल अब साफ, NDA का संतुलित मंत्रिमंडल आने को तैयार


नए फॉर्मूले से ये स्पष्ट हो गया कि बिहार में सत्ता का संतुलन भाजपा और JDU के बीच बराबरी से बांटा गया है।

NDA का मकसद है एक ऐसी सरकार पेश करना जो

– स्थिर हो

– जातीय समीकरण को साधे

– प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाए

– और आने वाले चुनावों के लिए मजबूत आधार दे


बिहार की राजनीति अब अगले चरण में कदम रख चुकी है।

अब सबकी नज़र होगी—कौन मंत्री बनेगा और किसे कौन-सा विभाग मिलेगा।



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