⚡ बिहार में सियासी तापमान चरम पर — सीटों की सियासत से नेताओं में बढ़ी बेचैनी!
पटना, 22 अक्टूबर 2025 —
बिहार की राजनीति इन दिनों उस मोड़ पर खड़ी है जहाँ हर पार्टी चुनावी रणभूमि में अपनी ताक़त दिखाने की तैयारी में जुटी है। नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, सम्राट चौधरी और प्रशांत किशोर — सभी अपने-अपने पाले को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
जहाँ एक ओर एनडीए गठबंधन चुनावी तालमेल को लेकर लगातार बैठकें कर रहा है, वहीं महागठबंधन में अंदरूनी खींचतान चरम पर है।
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🟢 नीतीश कुमार का भरोसे का फॉर्मूला — “काम बोलेगा, वादा नहीं”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी पुरानी पहचान — “काम के दम पर वोट” — को जनता के बीच दोहराते नज़र आ रहे हैं।
वे हर सभा में यही संदेश दे रहे हैं कि बिहार में विकास की लकीर सिर्फ़ उनकी सरकार ने खींची है।
हालाँकि, उनके विरोधी अब यह सवाल उठा रहे हैं कि “15 साल की सत्ता के बाद भी बिहार क्यों पलायन और बेरोज़गारी की जकड़ में है?”
जदयू सूत्रों की मानें तो पार्टी ने 80 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम लगभग तय कर लिए हैं।
लेकिन अंदरखाने चर्चा यह भी है कि कई पुराने विधायक टिकट न मिलने से नाराज़ हैं — और कुछ दूसरे दलों से संपर्क में हैं।
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🔴 तेजस्वी यादव का पलटवार — “जनता नीतीश के वादों से ऊब चुकी है”
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार पर बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और शिक्षा के मुद्दों पर हमला बोल रहे हैं।
तेजस्वी ने पटना में आयोजित एक सभा में कहा,
> “नीतीश कुमार अब थक चुके हैं, बिहार को नई सोच चाहिए और वह सोच युवा पीढ़ी से आएगी।”
तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ लगातार बढ़ रही है, और यह बात जदयू-भाजपा खेमे में चिंता का कारण बन रही है।
आरजेडी ने अब तक 100 से अधिक उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है, जिनमें 40 प्रतिशत युवा और नए चेहरे शामिल हैं।
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🟣 भाजपा की रणनीति — ‘मोदी चेहरा, सम्राट चौधरी मोर्चा’
भाजपा ने इस बार अपना दांव बहुत सोच-समझकर खेला है।
सम्राट चौधरी को प्रदेश की कमान देकर पार्टी ने साफ़ कर दिया है कि वो “युवा ओबीसी” कार्ड खेलने वाली है।
मोदी के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश जारी है, लेकिन पार्टी जानती है कि बिहार में लोकल चेहरे भी उतने ही अहम हैं।
भाजपा ने पहले चरण के लिए 75 प्रत्याशियों की सूची तैयार कर ली है और टिकट वितरण में जातीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है।
दिलचस्प बात यह है कि कई पुराने नेताओं के टिकट काट दिए गए हैं, जिससे अंदरूनी असंतोष बढ़ रहा है।
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🟠 लोजपा (रामविलास) का नया अंदाज़ — “युवा चिराग, पुराना जनाधार”
चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाने का दावा किया है।
वे हर सभा में कहते हैं,
> “अब बिहार को बिहार फर्स्ट सोचना होगा, जाति और धर्म से ऊपर उठकर।”
लोजपा (रामविलास) का लक्ष्य इस बार 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का है।
चिराग ने कई सीटों पर अपने सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी सीधे युवाओं को दी है, जिससे पार्टी की डिजिटल उपस्थिति तेज़ी से बढ़ रही है।
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🔵 प्रशांत किशोर का जनसुराज — जनता से सीधा संवाद
प्रशांत किशोर (PK) की जनसुराज यात्रा अब बिहार के लगभग हर जिले में पहुंच चुकी है।
उन्होंने साफ़ कहा है कि “बिहार में सत्ता परिवर्तन नहीं, सिस्टम परिवर्तन चाहिए।”
PK के जनसुराज संगठन ने अपने समर्थकों की पहली सूची जारी कर दी है और कहा है कि वे इस बार 100 से अधिक सीटों पर मैदान में उतरेंगे।
हालाँकि, राजनीतिक पंडित मानते हैं कि जनसुराज फिलहाल “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकता है।
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⚔️ महागठबंधन में दरार — कांग्रेस और राजद में तालमेल की जंग
कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई अंतिम समझौता नहीं हो सका है।
कांग्रेस 70 सीटों की माँग पर अड़ी हुई है, जबकि आरजेडी 50 से अधिक देने को तैयार नहीं।
यह गतिरोध अगर लंबा खिंचा, तो विपक्षी एकता पर असर पड़ना तय है।
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⚖️ जनता का मूड — “इस बार मुद्दा रोजगार, ना कि जाति”
बिहार की गलियों और चाय की दुकानों पर चर्चा अब सिर्फ़ “जाति” की नहीं, बल्कि “नौकरी और शिक्षा” की हो रही है।
नए मतदाता खुलकर कह रहे हैं कि उन्हें विकास चाहिए, वादे नहीं।
ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक़, 18 से 30 वर्ष के युवा मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका में रहेंगे।
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🔚 निष्कर्ष: बिहार की राजनीति में उबाल, पर परिणाम अब भी अनिश्चित
बिहार की सियासी ज़मीन इस समय भट्टी की तरह तप रही है।
हर पार्टी के पास अपना “विज़न” है, लेकिन जनता इस बार बहुत सतर्क है।
2025 का विधानसभा चुनाव यह तय करेगा कि क्या नीतीश कुमार की “सुशासन” की कहानी जारी रहेगी या तेजस्वी यादव और PK जैसे युवा चेहरे
नया अध्याय लिखेंगे।
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💥 — रिपोर्टर: विकाश कुमार | “बिहार की सियासत LIVE” विशेष रिपोर्ट —


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