सम्राट चौधरी का नामांकन: पटना में दिखा शक्ति प्रदर्शन
पटना का दिन राजनीतिक दृष्टि से ऐतिहासिक साबित हुआ, जब बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। इस दौरान पटना की सड़कों पर समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा। ढोल-नगाड़ों की गूंज, फूलों की बारिश और “जय श्रीराम” व “सम्राट चौधरी जिंदाबाद” के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
नामांकन से पहले सम्राट चौधरी ने भगवान सूर्य की पूजा की, फिर अपने समर्थकों के साथ रोड शो करते हुए जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंचे। उनके काफिले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ताओं तक की मौजूदगी थी। इस आयोजन ने साफ़ संकेत दे दिया कि भाजपा इस बार बिहार की सियासत में “सीधी और सशक्त” लड़ाई के मूड में है।
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सम्राट चौधरी का बयान: आत्मविश्वास और चेतावनी दोनों
नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में सम्राट चौधरी ने एकदम स्पष्ट लहजे में कहा —
> “बिहार बदल चुका है। जनता विकास चाहती है, स्थिरता चाहती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार पर भरोसा करती है। विपक्ष के पास ना चेहरा है, ना दिशा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका नामांकन सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि भाजपा के विजन और संकल्प की घोषणा है।
सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव और राजद पर तीखा हमला बोलते हुए कहा —
> “जिन्होंने बिहार को जंगलराज दिया, वे अब विकास का पाठ पढ़ा रहे हैं। जनता सब जानती है। इस बार बिहार के लोग ऐसे लोगों को सिरे से नकार देंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा हर वर्ग, हर पंचायत और हर बूथ तक अपने संगठन को सक्रिय रखेगी। “हमारे लिए चुनाव सिर्फ सत्ता में आने का नहीं, बल्कि बिहार को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान है,” उन्होंने कहा।
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एनडीए में बढ़ा उत्साह, सम्राट बने ‘मिशन लीडर’
सम्राट चौधरी के नामांकन को एनडीए के लिए मनोबल बढ़ाने वाला क्षण बताया जा रहा है। भाजपा के साथ-साथ जदयू और एलजेपी के नेताओं ने भी इसे “संगठन की एकजुटता” का प्रतीक बताया।
एनडीए नेताओं के अनुसार, सम्राट चौधरी की नेतृत्व शैली — जिसमें अनुशासन, जनसंपर्क और संगठन को साथ लेकर चलने की क्षमता शामिल है — ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है।
नामांकन के दिन पटना में भाजपा कार्यालय से लेकर विभिन्न जिलों तक, पार्टी कार्यकर्ताओं ने “अबकी बार सम्राट सरकार” के नारे लगाकर माहौल गरमा दिया।
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विपक्ष पर वार: तेजस्वी और नीतीश पर निशाना
मीडिया के सवालों पर सम्राट चौधरी ने कहा कि तेजस्वी यादव को अब जनता का मूड समझ लेना चाहिए। उन्होंने कहा —
> “बिहार में अब भावनाओं की नहीं, विकास की राजनीति होती है। लोग जात-पात और वादों से ऊपर उठकर उन नेताओं को चुनेंगे, जिन्होंने काम किया है।”
नीतीश कुमार को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा अपने एजेंडे पर काम करती है — “हम गठबंधन की राजनीति जरूर करते हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकता बिहार और जनता है। जो जनता के साथ होगा, वही हमारे साथ रहेगा।”
इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है क्योंकि इसे नीतीश कुमार के प्रति हल्के दबाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
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जनता के बीच बढ़ती लोकप्रियता
सम्राट चौधरी ने अपने भाषण में कहा कि वे बिहार के गांव-गांव घूम चुके हैं और जनता ने इस बार “पूर्ण बहुमत” की सरकार बनाने का मन बना लिया है। उन्होंने कहा —
> “हमने गरीबों को घर दिया, बिजली दी, शौचालय दिया, और अब हर घर तक रोजगार और शिक्षा का अवसर पहुंचाने का संकल्प है।”
उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नामांकन के दौरान कई गांवों से ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर लोग पहुंचे। महिलाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने भी इस कार्यक्रम को खास बना दिया।
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राजनीतिक विश्लेषण: सम्राट चौधरी की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सम्राट चौधरी भाजपा के उन नेताओं में से हैं जिन्होंने “जमीन से संगठन” को खड़ा किया है। उनके पास एक ही समय में दो फ्रंट संभालने की कला है — राजनीतिक आक्रामकता और संगठनात्मक अनुशासन।
वे विपक्ष पर हमला करते हैं तो उसमें तथ्य और रणनीति दोनों होते हैं। यही कारण है कि वे बिहार भाजपा के “फायरब्रांड” नेता के रूप में उभरे हैं।
इस चुनाव में उनका नामांकन भाजपा के लिए “फील्ड कमांडर” की भूमिका निभाने वाला माना जा रहा है।
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एनडीए का चुनावी फॉर्मूला और सम्राट की भूमिका
एनडीए की रणनीति इस बार जातीय समीकरणों से आगे बढ़कर “विकास बनाम अव्यवस्था” के नैरेटिव पर टिकी है।
सम्राट चौधरी इस रणनीति के केंद्र में हैं। वे पिछड़ा वर्ग से आते हैं और भाजपा का यही प्रयास है कि बिहार की सामाजिक संरचना को एकजुट कर अपने पक्ष में मतदान करवाया जाए।
उनका नामांकन इसी रणनीति का हिस्सा है — जिससे एनडीए यह संदेश देना चाहता है कि वह “सामाजिक न्याय के साथ विकास” के एजेंडे पर आगे बढ़ रहा है।
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कार्यकर्ताओं में जोश, विपक्ष में बेचैनी
नामांकन के बाद से भाजपा कार्यकर्ताओं में जबरदस्त जोश देखा गया। सोशल मीडिया पर #MissionBihar, #SamratForBihar और #AbkiBaarPhirBJP जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
विपक्षी दलों ने इस भीड़ को “प्रायोजित शो” बताया, लेकिन जमीनी स्तर पर भाजपा के कार्यक्रमों में उमड़ती भीड़ विपक्ष के आरोपों को झुठलाती दिख रही है।
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भविष्य की रूपरेखा: चुनावी युद्ध का बिगुल
अपने भाषण के अंत में सम्राट चौधरी ने कहा —
> “यह चुनाव बिहार के भविष्य का चुनाव है। हमारा लक्ष्य सिर्फ जीत नहीं, बल्कि हर गरीब के चेहरे पर मुस्कान लाना है।”
उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार बनने के बाद बिहार को “औद्योगिक राज्य” बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “बिहार अब पलायन का राज्य नहीं रहेगा, बल्कि लोग यहां रोजगार के लिए लौटेंगे।”
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निष्कर्ष: सम्राट चौधरी का नामांकन — ‘बिहार मिशन 2025’ की शुरुआत
सम्राट चौधरी का नामांकन बिहार की राजनीति में सिर्फ एक औपचारिक घटना नहीं थी, बल्कि यह एनडीए के चुनावी युद्ध का शंखनाद था।
उनकी शैली में जो आत्मविश्वास, जोश और स्पष्टता है, उसने भाजपा के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है।
अब देखना यह होगा कि यह जोश मतदान तक बना रहता है या नहीं, लेकिन इतना तय है कि सम्राट चौधरी अब बिहा
र की राजनीति के केंद्र में हैं — और उनका हर बयान, हर कदम, आने वाले दिनों में राजनीतिक हलचल मचाने वाला रहेगा।


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