लालू के करीबी संजय यादव ने तेजस्वी को बताया अहंकारी, तेज प्रताप और रोहिणी आचार्य पर भी साधा निशाना: RJD परिवार में बढ़ता भूचाल
बिहार की राजनीति में जो भी हलचल होती है, उसका पहला कंपन हमेशा लालू परिवार से होकर गुजरता है। लेकिन इस बार झटका परिवार से बाहर नहीं, परिवार के बेहद करीबी चेहरे संजय यादव से आया है। संजय, जिन्हें कभी तेजस्वी यादव का "रणनीतिकार", "विश्वासपात्र" और "ब्रेन" कहा जाता था, अब खुलकर बगावती मोड में हैं।
दोस्तों, आज हम इसी ताजा राजनीतिक भूचाल की पूरी कहानी, अंदरूनी समीकरण, बयानबाजी और आगे किस दिशा में जा सकता है खेल—सब पर बात करेंगे।
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संजय यादव का खुला हमला: तेजस्वी “अहंकारी” हो गए हैं
संजय यादव ने अपने बयान में सबसे बड़ा वार तेजस्वी यादव पर किया।
उनका आरोप सीधा और बेहद सख्त है—
तेजस्वी में विनम्रता खत्म हो गई है, वह अहंकार में डूब चुके हैं और पुराने साथियों को दूर कर रहे हैं।
RJD के भीतर लंबे समय से यह चर्चा दबे स्वर में चल रही थी कि तेजस्वी की टीम में फैसलों का दायरा सीमित होता जा रहा है और पुराने चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
संजय यादव ने पहली बार इसे खुलकर स्वीकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि:
तेजस्वी अब सलाह सुनने के मूड में नहीं रहते
जो लोग सत्य बोलते हैं, उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाता है
पार्टी का फोकस जमीन से जुड़ी राजनीति से हट रहा है
संजय का यह बयान किसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का है जो तेजस्वी के साथ हर मुश्किल वक्त में मौजूद रहा।
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तेज प्रताप पर तंज: “नेतृत्व की समझ नहीं, सिर्फ मीडिया की सुर्खियों में रहना मकसद”
संजय यादव यहीं नहीं रुके।
उन्होंने तेज प्रताप यादव पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में अनुशासन की सबसे बड़ी समस्या उन्हीं से शुरू होती है।
संजय के मुताबिक:
तेज प्रताप हमेशा विवादों में रहते हैं
पार्टी के किसी डिसीजन में उनका योगदान बेहद सीमित है
वह मीडिया में बने रहने के लिए बयान देते हैं
संगठनात्मक गतिविधियों से उनका लगाव कम है
तेज प्रताप पहले भी कई बार बयानबाजियों और विवादों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।
कभी सुरक्षा कर्मियों से विवाद, कभी पार्टी नेताओं को डांटना, कभी लाइव वीडियो में गुस्सा—इन सब पर संजय यादव ने संकेतों में ही हमला किया।
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रोहिणी आचार्य पर भी सवाल: “सोशल मीडिया की राजनीति से पार्टी नहीं चलती”
लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ट्विटर पर बेहद सक्रिय रहती हैं और अक्सर अपने भाई तेजस्वी के बचाव में तीखे ट्वीट करती हैं।
लेकिन इस बार संजय यादव ने उनके राजनीतिक योगदान पर सीधा सवाल उठा दिया।
संजय का कहना था कि—
सिर्फ सोशल मीडिया से कोई राजनीति नहीं चलती
पार्टी के असली मुद्दों से उनका सीधा संपर्क नहीं होता
विदेश में रहकर ट्वीट करने से बिहार की जमीनी राजनीति नहीं समझी जा सकती
यह बयान बेहद तीखा है, क्योंकि रोहिणी हमेशा पार्टी का चेहरा नहीं, बल्कि “भावनात्मक कवच” मानी जाती हैं। उन पर प्रहार का मतलब लालू परिवार के एक और मोर्चे को चुनौती देना है।
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क्यों बागी हुए संजय यादव? क्या अंदर ही अंदर चल रहा था टकराव?
दोस्तों, अब बड़ा सवाल यह है कि संजय यादव, जो लालू परिवार के इतने करीब थे, आखिर बगावत क्यों कर बैठे?
सूत्रों के मुताबिक इसके कई कारण हैं:
1. चुनावी रणनीति में बदलाव
तेजस्वी की नई टीम में कई नए चेहरे आए हैं, जिनसे संजय की विचारधारा नहीं मिल रही है।
2. पुराने सलाहकारों की अनदेखी
संजय जैसे लोग जो जमीन पर काम करते थे, उन्हें धीरे-धीरे किनारे किया गया।
3. टिकट बंटवारे में नाराजगी
2025 चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान संजय की राय पर ध्यान नहीं दिया गया।
उनके कई समर्थकों को टिकट नहीं मिला।
4. परिवार की राजनीति में दखल
संजय का दावा है कि परिवार के लोग संगठनात्मक फैसलों में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप कर रहे हैं।
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क्या RJD टूट की तरफ बढ़ रही है? संकेत गंभीर हैं
संजय यादव का हमला कोई साधारण हमला नहीं है।
इससे कई बड़े संकेत मिलते हैं:
1. तेजस्वी के नेतृत्व पर पहली बार खुलकर सवाल
तेजस्वी यादव हमेशा एक शांत, संतुलित नेता की छवि में रहे हैं।
लेकिन अब पहली बार उनके नेतृत्व को उनके ही करीबी ने चुनौती दी है।
2. RJD में दो धड़े
एक धड़ा तेजस्वी के साथ
दूसरा धड़ा पुराने लालू-युग के नेताओं का
संजय का हमला दूसरे धड़े की तरफ इशारा करता है।
3. परिवारवाद बनाम संगठनवाद
RJD हमेशा परिवारवाद के आरोपों से घिरी रही है।
संजय ने इसी मुद्दे को सबसे ज्यादा उछाला है।
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क्या इस हमले से तेजस्वी की राजनीतिक छवि को नुकसान होगा?
संभव है। और बहुत बड़ा।
क्योंकि—
संजय यादव युवा हैं
सोशल मीडिया पर मजबूत पकड़ रखते हैं
यादव वोटबैंक में उनकी अच्छी पैठ है
तेजस्वी का कोर काडर उन्हीं के संपर्क में रहता था
अगर वह कुछ समय तक इस मुद्दे को जीवित रखते हैं, तो RJD को संगठनात्मक और राजनीतिक दोनों नुकसान झेलने पड़ सकते हैं।
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RJD की प्रतिक्रिया: “यह सब बीजेपी की साजिश”
पार्टी की पहली प्रतिक्रिया बेहद प्रेडिक्टेबल रही—
साजिश,
भाजपा की चाल,
RJD को कमजोर करने की कोशिश
जैसे बयान सामने आए।
लेकिन पार्टी के भीतर भी यह बात चर्चा में आ गई है कि गैप्स को ठीक करने की जरूरत है।
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लालू यादव का संकट: परिवार और पार्टी दोनों को संभालना चुनौती
लालू प्रसाद यादव कई बार कह चुके हैं कि परिवार में एकता जरूरी है।
लेकिन पिछले एक साल में परिवार की अंदरूनी लड़ाइयों के कई किस्से सामने आए—
तेज प्रताप बनाम तेजस्वी
रोहिणी बनाम तेज प्रताप
मीसा के बयान
अब संजय यादव की बगावत
लालू के लिए सबसे मुश्किल काम यही है कि वह पार्टी को और बच्चों को एक दिशा में लेकर चलें।
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आगे क्या हो सकता है? राजनीतिक भविष्य की 5 बड़ी संभावनाएं
1. संजय यादव नई टीम या समूह बनाएंगे
वह RJD के भीतर एक वैकल्पिक धड़ा भी खड़ा कर सकते हैं।
2. तेजस्वी उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे
क्योंकि संजय की पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
3. यह मामला लंबा खिंचेगा
संजय के पास काफी अंदरूनी जानकारी है, जो वह धीरे-धीरे बाहर ला सकते हैं।
4. परिवार की राजनीति और खुल सकती है
अगर रोहिणी, तेज प्रताप या मीसा भी कुछ बोलते हैं तो विवाद और बढ़ेगा।
5. बिहार की राजनीति में नया समीकरण
JDU–BJP–RJD के तिकोने संघर्ष में यह एंगल बड़ा बदलाव ला सकता है।
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निष्कर्ष: RJD के भीतर उठता तूफान अभी थमेगा नहीं
दोस्तों, यह मामला किसी एक बयान या निजी नाराजगी का नहीं है।
यह RJD की अंदरूनी राजनीति का असली चेहरा है, जि
समें—
परिवारवाद
संगठन की अनदेखी
पुराने नेताओं की नाराजगी
और नेतृत्व पर सवाल
सब एक साथ फूट पड़े हैं।
संजय यादव का यह बयान आने वाले समय में RJD और तेजस्वी यादव दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

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