. बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की नई चुनौती: जनता की उम्मीदें, गठबंधन की कसौटी और बदले समीकरण

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की नई चुनौती: जनता की उम्मीदें, गठबंधन की कसौटी और बदले समीकरण

 

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की नई चुनौती: जनता की उम्मीदें, गठबंधन की कसौटी और बदले समीकरण


बिहार की राजनीति में आज सबसे ज्यादा जिस नेता की चर्चा है, वह हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। तीन दशक से अधिक का राजनीतिक सफर, कई बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वापसी, और बार-बार बदलते राजनीतिक समीकरणों ने उन्हें भारतीय राजनीति का सबसे चतुर, अनुभवी और व्यवहारिक नेता बना दिया है। लेकिन 2024-25 का दौर उनके लिए पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है — न सिर्फ विपक्ष से, बल्कि जनता और अपने साथियों से भी।


✅ जनता की


सबसे बड़ी उम्मीद — रोजगार का सवाल


बिहार में बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती रही है।

नीतीश कुमार ने 2005 में जब सत्ता संभाली थी, तब उन्होंने सड़क, बिजली, कानून-व्यवस्था में बड़े सुधार किए। लोगों को लगा — अब नौकरी और उद्योग का दौर आएगा। लेकिन—


राज्य में बड़े उद्योग आज भी कम


युवाओं का पलायन लगातार जारी


सरकारी नौकरियों में देरी और विवाद



तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरियों वाले वादे के बाद बेरोजगार युवा अब ज्यादा मुखर हैं।

नीतीश कुमार को इस सवाल का स्पष्ट जवाब देना पड़ रहा है।


✅ JD(U) की स्थिति और गठबंधन की राजनीति


नीतीश कुमार की राजनीति गठबंधन के बिना कभी स्थिर नहीं रही।

पिछले 10 सालों का हिसाब देखें —


साल गठबंधन


2014-2017 राष्ट्रीय जनता दल (RJD)

2017-2022 भारतीय जनता पार्टी (BJP)

2022-2024 RJD, कांग्रेस, वाम दल

2024 के बाद NDA में वापसी



बार-बार पाला बदलने के कारण विरोधियों ने उन्हें

"पलटू कुमार" कहकर निशाना साधा।


लेकिन नीतीश इसे अपनी राजनीतिक मजबूरी नहीं, बल्कि राज्यहित बताते हैं।

उनका तर्क —

“मैं वही करता हूँ जो बिहार के विकास के लिए सबसे बेहतर हो।”


फिर भी सच यह है कि—


सीटों की संख्या लगातार घटी


युवाओं में पकड़ कम हुई


पार्टी की दूसरी कतार कमज़ोर



अब JD(U) पूरी तरह नीतीश कुमार के अस्तित्व पर टिकी है।


✅ मोदी सरकार में नीतीश की अहमियत


नीतीश कुमार NDA के लिए सिर्फ सीटों के आंकड़े नहीं हैं —


वे कुशल प्रशासक की छवि रखते हैं


पिछड़ा वर्ग और महिलाओं में पकड़


बिहार में NDA की राजनीति का दूसरा सबसे मजबूत चेहरा



मन की चोटें होने के बावजूद नीतीश ने राष्ट्रीय राजनीति में फिर से बीच की भूमिका पकड़ ली है।



✅ बिहार में लगातार बदलाव — विकास की कहानी और अधूरी मांगें


नीतीश कुमार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है —


सड़क नेटवर्क का विस्तार


गांव-गांव बिजली पहुंचाना


साइकिल योजना से लड़कियों की शिक्षा में बड़ा बदलाव


शराबबंदी कानून, भले विवादों के बीच



लेकिन आज जनता पूछ रही है —


उद्योग कहाँ हैं?


नौकरी कब आएगी?


युवाओं को बिहार छोड़ना क्यों पड़ रहा है?



सरकार इन सवालों का जवाब खोज रही है, लेकिन जनता चाहती है तेज़ और ठोस परिणाम।


✅ नया राजनीतिक समीकरण: केंद्र–राज्य तालमेल


2024 के बाद, केंद्र सरकार और बिहार सरकार में पूरा तालमेल है।

इसका फायदा इन योजनाओं को मिल सकता है —


गंगा जल योजना का विस्तार


मेट्रो प्रोजेक्ट की रफ्तार


नए मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज


पीएम संपर्क के साथ बड़ी निवेश परियोजनाएँ



अगर ये योजनाएँ सफल होती हैं, तो नीतीश की साख फिर बहुत मजबूत हो सकती है।


✅ विपक्ष की रणनीति — नीतीश पर सीधी चोट


RJD और विपक्ष नीतीश पर 3 प्रमुख आरोप लगा रहा है—


1️⃣ बार-बार गठबंधन बदलकर जनादेश का सम्मान नहीं किया

2️⃣ रोजगार पर नतीजा zero

3️⃣ शराबबंदी कानून के कारण अवैध शराब का जाल


तेजस्वी यादव हर मंच से यह कहते हैं—


> “नीतीश जी थके हुए नेता हैं। अब बिहार को नई सोच चाहिए।”




लेकिन नीतीश का जवाब भी कम नहीं —


> “काम की बात करिए। हमने बिहार को अंधेरे से रोशनी में लाया।”




दोनों की जुबानी जंग से बिहार का चुनावी माहौल गर्म है।


✅ 2025 विधानसभा चुनाव — नीतीश की सबसे बड़ी परीक्षा


अगले चुनाव के लिए मुद्दे बिल्कुल साफ हैं:


प्रमुख मुद्दा जनता की अपेक्षा


बेरोजगारी सरकारी + निजी रोजगार में बड़ा विस्तार

शिक्षा कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार

स्वास्थ्य प्रखंड स्तर पर मजबूत व्यवस्था

आर्थिक विकास बड़े उद्योग और निवेश

कानून व्यवस्था माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई



अगर नीतीश विकास का नया अध्याय शुरू कर पाए —

तो वे फिर सत्ता में आ सकते हैं।


वर्ना विपक्ष इस बार मौका लेने को तैयार है।


✅ व्यक्तिगत छवि — आज भी “सुशासन बाबू”?


जनता के मन में आज भी यह मान्यता है—


नीतीश ईमानदार नेता हैं


भ्रष्टाचार के खिलाफ सख़्त


प्रशासन में सादगी



लेकिन समय के साथ-साथ उम्मीदें भी बढ़ी हैं।

लोग अब केवल अच्छे इरादों से संतुष्ट नहीं —

उन्हें बड़े परिणाम चाहिए।


✅ सामाजिक समीकरण — सबसे बड़ी कुंजी


बिहार में जातीय राजनीति हमेशा निर्णायक रही है।


कुर्मी समाज नीतीश की मुख्य ताकत


महिलाओं का बड़ा समर्थन — शराबबंदी की वजह से


पिछड़ा-दलित वर्ग — योजनाओं का लाभ



लेकिन —


युवा वोटरों में असंतोष


शहरी वोटरों का झुकाव बदलता हुआ



इसलिए मैसेजिंग और भरोसा-बहाली बेहद जरूरी है।


✅ भविष्य की राजनीति — क्या होगा नीतीश के बाद?


JD(U) का सबसे बड़ा संकट यह है—


➡️ नीतीश कुमार के बाद कोई मजबूत चेहरा नहीं

यदि स्वास्थ्य या उम्र का असर हुआ, तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं—


> “नीतीश अपने उत्तराधिकारी की तलाश में हैं, लेकिन पक्की घोषणा अभी दूर है।”




इस वजह से पार्टी में भी असमंजस है।



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निष्कर्ष — अभी भी खेल बाकी है


नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा किसी फिल्म की तरह है—


उतार-चढ़ाव


नाटकीय मो

ड़


और हमेशा कमबैक



आज भी वे बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी और गेम-चेंजर नेता हैं।

पर इस बार उनकी असली परीक्षा जनता के कठोर सवालों से है —


रोजगार कहाँ?


उद्योग कब आएँगे?


युवाओं का भविष्य कौन सँभालेगा?


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